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Wednesday 18 March 2015

जाट आरक्षण - 2006 से 2014 तक यूं चला दौर, अब होगा आंदोलन


JAAT reservation movement was began in 2006

आंदोलन के दौरान सुनील श्योराण की गोली लगने से मौत, पुलिस अधीक्षक पर हत्या का हुआ था मामला दर्ज

चंडीगढ़। जाट आरक्षण केा रद् करने को लेकर आए सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद जाट नेताओं ने फैसले पर अंसतोष जाहिर किया है। जाट नेताओं ने कहा कि सरकार ने सही तरीके से इस मामले की पैरवी नहीं की है जिस कारण यह फैसला आया है। उन्होंने कहा कि सरकार को चहिए था कि इस मामले की पैरवी करती। वहीं पिछड़ा वर्ग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसला का स्वागत करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को जाट आन्दोलन से हुए सरकारी संपति को हुए नुकसान की भरपाई भी जाट संगठनों से करनी चाहिए। आईए एक नजर डालते है देशभर में जाट आरक्षण को लेकर हुए प्रमुख घटना क्रमों पर -

- 24 नवम्बर 2006 में जाट जागृति अभियान की शुरूआत हुई।

- 13 सितम्बर 2010 जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने हिसार से 15 किलोमीटर दिल्ली हाइवे पर मय्यड़ गांव में लगाया जाम।
- देश भर में 62 जगहों पर रेलवे व हाइवे पर प्रर्दशन।
- आंदोलन के दौरान मय्यड़ में लाडवा निवासी सुनील श्योराण की गोली लगने से मौत। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुभाष यादव पर हत्या का हुआ था मामला दर्ज।
- 5 मार्च 2011 को देश भर के 15 रेलवे ट्रैक के पास धरने पर बैठे थे जाट समुदाय के लोग।
- 23 मार्च 2011 को फतेहाबाद के मेहुवाला में भूख हड़ताल के दौरान विजय कड़वासरा की मौत।
- 25 मार्च 2011 को हरियाणा के मुख्यमंत्री से वार्ता हुई थी।
- 3 मई 2011 को केन्द्र सरकार द्वारा गजेट नोटिफिकेशन कर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को पुनर्विलोकन का अधिकार देना।
- 29 मई 2011 अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से देश भर में जाट संकल्प यात्रा की शुरूआत।
- 13 सितम्बर 2011 हरियाणा में सुनील श्योराण की शहादत दिवस पर रैली व 19 फरवरी 2012 से आन्दोलन की घोषणा।
- 19 फरवरी 2012 को मय्यड़ के नजदीक रामायण ट्रैक पर आंदोलन की शुरूआत
- छह मार्च 2012 को पुलिस अधीक्षक अनिल धवन ने भूख हड़ताल पर बैठे आंदोलन कारियों को उठाया। लोगों ने विरोध किया। लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले, पथराव। इस दौरान मय्यड़ के संदीप कड़वासरा की गोली लगने से मौत।
- शव को रेलवे ट्रैक पर रख कर जाट समुदाय ने किया आंदोलन। 12 मार्च 2012 को संदीप कड़वासरा की अंत्येष्टि।
- 13 सितम्बर 2012 को सुनील श्योराण की दूसरी वरसी। खापों द्वारा 15 दिसम्बर से आन्दोलन की चेतावनी।
- 24 जनवरी 2013 को हरियाणा में सरकार ने जाटों को 10 प्रतिशत अलग से आरक्षण में शामिल किया।
- 5 मार्च 2013 को संसद के बजट सत्र के दौरान जंतर-मंतर पर देश भर में 55 जगहों पर धरने की शुरूआत 31 मार्च तक 55 जगहों पर धरना व जंतर-मंतर पर लगातार 10 मई 2013 तक सं सद के बजट सत्र की समाप्ति तक धरना।
- 6 मार्च 2013 को मय्यड़ में हरियाणा से हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन की शुरूआत व कुछ ही समय में पूरे हरियाणा में चरणबद्ध तरीके से आन्दोलन को फैलाना।
- 10 मई 2013 को प्रधानमंत्री कार्यालय मंत्री वी. नारायण सामी से जल्द आरक्षण घोषित करने का वायदा।
- 20 अगस्त 2013 को केंद्र सरकार द्वारा जाट आरक्षण को केंद्र के नेताओं की कमेटी गठित की।
13 सितम्बर 2013, को मय्यड़ हिसार में सुनील श्योराण शहादत दिवस पर राष्ट्रीय स्तर की रैली का आयोजन, 30 अक्टूबर तक आरक्षण ना मिलने पर काग्रेस को दिल्ली, राजस्थान व मध्य प्रदेश में जाटों से काग्रेस को वोट ना देने का संकल्प का आहवान।
- 19 दिसम्बर 2013 को केंद्रीय मंत्रीमंडल द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को 9 राज्यों के जाटों की आरक्षण की माग पर राज्यों के आधार पर दी सुनवाई शुरू करने का निर्देश।
- 10,11,12 व 13 फरवरी 2014 को राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग द्वारा 9 राज्यों की सुनवाई शुरू।
- 2 मार्च 2014 को केंद्र सरकार द्वारा 9 राज्यों के जाटों को आरक्षण में शामिल करने की घोषणा।
- 5 मार्च 2014 को केंद्र सरकार द्वारा गजट नोटिफिकेशन।

प्रदेश में 70 लाख जाट
प्रदेश के आंकड़ों पर नजर डाले तो करीब 70 लाख जाट समुदाय की आबादी हैं। इसमें हिसार के अलावा भिवानी, जींद, रोहतक, सोनीपत, कुरूक्षेत्र आदि में ज्यादा जाट समुदाय के लोग हैं।

कांग्रेस द्वारा नोटिफिकेशन जारी करने के बाद वर्तमान बीजेपी सरकार द्वारा पैरवी करने तक उनके साथ न्याय नहीं हुआ। जिन राज्यों में जाट आरक्षण को हरी झंडी नहीं मिली है उसके साथ अब इन नौ राज्यों में आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जाएगी। लोगों के अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी वह तैयार है। आंदोलन के सभी रास्तों का विकल्प भी खुला हुआ है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वह शांति बनाए रखे।

यशपाल मलिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति

दो से तीन दिन में समिति की बैठक बुलाई जाएगी। इसमें आंदोलन की रूप रेखा भी तैयार हो सकती है। अदालत के फैसले की कापी आने के बाद ही कुछ फैसला होगा। अदालत के फैसले से जाट समुदाय दुखी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। समुदाय के लोग खेती बाड़ी से अपना जीवन यापन कर रहे है। पांच साल के संघर्ष के बाद उनको आरक्षण मिला था तो एक झटके के ले लिया। अब जाट समुदाय के लोग चुप नहीं बैठने वाले। कहीं ऎसा न हो यह जातिय संघर्ष में न बदल जाए। कारण है कुछ लोगों ने जाट समुदाय के खफा होकर ही यह याचिका दायर की थी।

धर्मपाल छौत, प्रदेशाध्यक्ष, जाट आरक्षण संघर्ष समिति

अदालत का फैसला कमेरे वर्ग की कमर तोड़ने वाला फैसला है। वह इस फैसले से दुखी है। लंबी लड़ाई के बाद उनको यह हक मिला था। समाज के लोगों को पास खेती बाड़ी के कुछ नहीं है। वह भी अब घाटे का सौदा हो रही है। अब यह आरक्षण खत्म करना समुदाय के लोगों के लिए दुखदायी है।

रामभगत सिंह मलिक, प्रदेश प्रवक्ता, जाट आरक्षण संघर्ष समिति

उच्च न्यायालय का फैसला वह स्वीकार करते है। आरक्षण संपन्न लोगों को नहीं मिलना चाहिए। गरीब लोगों को ही आरक्षण का लाभ मिले। जिनको एक बार लाभ मिला है उनसे बिना लाभ पात्र व्यक्ति यों को आरक्षण का लाभ मिले।

वेद पाल तंवर, गैर जाट संगठन के नेता

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